उत्तराखंड में इन दिनों अनेक साधु-सन्यासी साधना में लीन हैं…कोई ध्यान में मगन है, तो कोई योग में..कोई मौन साधना में है, तो कोई कठिन तप में.इनमें से एक संत हैं स्वामी प्रकाशानंद जी.स्वामी प्रकाशानंद जी पिछले 21 साल से उत्तराखंड में तपस्या कर रहे हैं.स्वामी जी ने केदारनाथ गुफा, गौरीकुंड, तिलवाड़ा रुद्रप्रयाग में भी कठिन साधना की है..अप्सरा पर्वत पर भी कई सालों तक स्वामी जी ने कठोर तप किया है.मानव कल्याण के लिए अब स्वामी प्रकाशानंद जी, वशिष्ठ आश्रम अकोढ़ी घनसाली टिहरी में रहकर तपस्या कर रहे हैं.स्वामी जी बताते हैं कि यहां पर एक स्वंयभू लिंग है और स्वामी रामतीर्थ ने भी यहां तपस्या की थी.स्वामी प्रकाशानंद जी का कहना है कि उनकी साधना प्रमाणिक है और वो हमेशा भक्तों के कल्याण की कामना करते हैं.हिमालय के सभी सिद्धपीठों में साधना कर चुके स्वामी प्रकाशानंद…नारायण दत्त श्रीमाली जी को अपना सद्गुरु मानते हैं..
स्वामी प्रकाशानंद, नारायण दत्त श्रीमाली जी के ज्ञान और उनके बताए हुए मार्ग पर चलने को अपना सौभाग्य बताते हैं…स्वामी प्रकाशानंद जी का कहना है की जो भी उनके संपर्क में आता है..उसे भी वह साधना और तपस्या का ज्ञान देते हैं…स्वामी प्रकाशानंद जी का मानना है कि दैविक बल से ही व्यक्ति जीवन में निरोग,सुखी और संपन्न रह सकता है और अपनों के साथ दूसरों का भी कल्याण कर सकता है.हिमालय सदियों से साधना का केंद्र रहा है…आस्था, योग और अध्यात्म की अविरल गंगा यहीं से बहती है..प्रकाशानंद जी जैसे संत आज भी मानव कल्याण के लिए कठिन तप करने में जुटे हुए हैं.